कागज़
कागज़
मन मेरा था कोरा कागज़
उस पर क़िस्मत ने
ग़म लिख दिया,
दुनिया भी कुछ कम नहीं यारों
डुबोकर आँसुओं में
मन को लुगदी कर दी..!
दिल भी लथफथ हुआ
मन के कीचड़ से अब
चाहकर भी हम
कुछ कर सकते नहीं।
गर क़िस्मत ही साथ देती
यूँ आज ज़िन्दगी मेरी
भटकती नहीं..!
मन मेरा था कोरा कागज़
उस पर क़िस्मत ने
ग़म लिख दिया,
दुनिया भी कुछ कम नहीं यारों
डुबोकर आँसुओं में
मन को लुगदी कर दी..!
दिल भी लथफथ हुआ
मन के कीचड़ से अब
चाहकर भी हम
कुछ कर सकते नहीं।
गर क़िस्मत ही साथ देती
यूँ आज ज़िन्दगी मेरी
भटकती नहीं..!