कागज की नाव
कागज की नाव
जब होती थी वर्षा शुरू,
बचपन खिल उठता था ,
कागज की नाव बना,
खूब बहाया करते थे,
अब तो जिंदगी ही हो गई ,
कागज के नव की तरह ,
दुनियां में बह रही है ,
बिन पतवार, बिन खेवैया,
कागज की नाव बहाने में ,
आता था खूब मजा ,
पर जिंदगी की नाव का,
पता नही कब कहां जा डूबेगी ।।