#काग़ज़ की नाव
#काग़ज़ की नाव
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
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वो देखो चली जा रही है ,
कागज़ की नाव ,
अल्हड़, बलखाती अपनी ही धुन में,
ना कोई फिक्र ,ना कोई शिकन,
क्योंकि.....
जानती हैं मुश्किलों से लड़ना,
इसलिए तो इस जल सैलाब में,
उतर गई यों ,
कोशिश करने में क्या हर्ज़ है?
पार लगेगी या नहीं ...
देखा जायेगा ,
बाद में रह तो नहीं जायेगा ,
कोई पछतावा ,
मैंने एक कोशिश तो की होती,
हां ! याद हैं मुझे भी बचपन वाली वो कागज़ की नाव ,
फर्क सिर्फ़ इतना आया हैं कि....
वो मस्ती के लिए बनाकर छोड़ दी थी पानी में ,
मगर आज सीख मिली हैं इसी नाव से,
जीवन के इस सफ़र में,
सदा कोशिश करते रहना !!