जयघोष
जयघोष
जिंदगी है तो जीत पर एतबार कर,
अगर हुआ है प्यार तो फिर इसे इंकार कर,
पा नहीं सकते मोहब्बत और मंजिल एक साथ
मोहब्बत को इंकार कर फिर मंजिल के साथ चल।।
दौड़ना है धूप में तो, सूर्य से तकरार कर
चलना है अंगारे पर, तो अग्नि से श्रृंगार कर
अगर हुआ है प्यार तो फिर से इंकार कर ।।
फूल से क्यों राग तुझे,कांटे से अनुराग कर
हबीब के लिए यू ना,जिंदगी बर्बाद कर
अगर हुआ है प्यार तो फिर से इंकार कर ।।
शाम ढलती है ढलने दे, सुबह लाने पर एतबार कर
खुद को पहचान तू औरों से ना अनुराग कर
अगर हुआ है प्यार तो फिर से इंकार कर ।।
