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GENIUS BOY RAM

Inspirational

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GENIUS BOY RAM

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कुरूक्षेत्र की भूमि

कुरूक्षेत्र की भूमि

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कुरूक्षेत्र की भूमि पर, पांडव-कौरव खड़े हुए

कृष्ण बने हैं पार्थ के सारथी, भीष्म,द्रोण भी डटे हुए।। 

पंचजन्य उठाकर केशव ने, उद्घोष किया हैं

भीष्म पर्तीयांचा खिचकर, दिशा को विछोभ किया हैं।। 

पर अर्जुन हैं सकुचाया सा, धीरज उसका डोल गया

भीष्म, द्रोण को देख, क्यों क्रोध का ज्वाला बैठ गया? 

अर्जुन-

   ये सब तो अपने हैं मेरे, अंतर्मन को कोश रहा

   नैनो से चलते आँसू को, क्षत्रिय वीर हैं घोट रहा।। 

वसुदेव थे धीर हुए, पार्थ को देख गंभीर हुए

बोले कौन्तेय गांडीव कहाँ हैं, उसको गले लगाओ तुम

यदि हो क्षत्रिय कुल के तो, अपना धर्म बचाओ तुम

अर्जुन का मन मुरझाया हैं, अंतर्मन भर आया हैं

बोला केशव क्या यही धर्म हैं? क्या यह न्याय या नियति हैं? 

अपने जन को सत्ता के खातिर, मिटाना किस धर्मराज की नीति हैं? 

हे माधव! जरा दया करो, उचित दिशा दिखाओ तुम

धर्म, मर्यादा की नीति का, शास्त्रीय गाथा सुनाओ तुम। 

कृष्ण-

देखो महाप्रभु अब खड़े हुए, अधर अनुरंजित भडे हुए

हे पांडु! सुनो, तुम्हे गीता का ज्ञान सुनाता हु

धर्म मर्यादा की क्या नीति हैं, इसका बखान सुनाता हूँ। 

क्या भूल गए तुम चीर हरण को? या दुर्योधन की वाणी को, 

जहाँ लुटती हो अबला नारी, वहाँ वीर नही होते हैं मौन

भीष्म द्रोण के इस अपराध को, क्या इतिहास कर सकता हैं माफ़ (mauf)।। 

कृष्ण-

    तुम नही कर सकते पार्थ, तो सुदर्शन haath धरूँगा मैं, धर्म बचाने के खातिर, भीष्म का प्राण हारूँगा मैं।। 

  भीष्म-

     भीष्म मन ही मन मुस्काएं, लो जगतपति हैं अब जागे

 हे मुरलीधर! हे दामोदर! अब मेरा उद्धार करो, 

इस पापी जीवन के नैया को तुम पार करो।। 

अर्जुन अब शरमाया, अपने करतूत पर पछताया, 

बोला माधव तनिक शांत हो जाओ, इस गांडीव को हाथ धरु अब मैं

अगणित वाण के वर्षा से, पितामह का प्राण हरूं अब मैं।। 

और हे विहारी क्षमा करना मुझको, मैं धर्म की नीति भूल गया, माया के जंजाल में आके, मायापति को भूल गया।।


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