बेटे की विदाई
बेटे की विदाई
चारों तरफ दीवाली का शोर था, मेरे घर में तन्हाई थी,
दिल जोरों जोरों से धड़क रहा था क्योंकि
एक सैनिक की पार्थिव शरीर मेरे गांव आई थी।
आंखें नम हुई, मां का आंचल छूटा।
जननी ने मां भारती से सवाल किया,की आपने कैसी भेंट भिजवाई है।
वो बचपन की यादें, वो स्कूल का झगड़ना,
मां की आंचल में सिमटकर हंसना, रोना फिर लोरियां सुन सो जाना।।
हर एक यादें आज ताजा हो गई, हर एक सर सलामी के लिए झुक गईं,
जब फर्ज के पुजारी को तिरंगे में लिपटा देखा।
देवता भी आज रोया होगा, नव कुसुम पथ सजाया होगा।
मां भारती के आंचल के फूल ने स्वर्ग का मान बढ़ाया होगा।
था! धन्य वह लाल अंतिम क्षण भी मां का प्यार पाया,
और बेटे की विदाई की घड़ी थी, शहर मौन तो समय का रथ थम सा गया।।