जय राष्ट्रवीर की
जय राष्ट्रवीर की
कथा हैं बलिवेदी पर चढ़े,
हुतात्माओं के कटे सिर की।
शत कोटि नमन महान मानव,
जय राष्ट्रवीर की।।
सन सत्तावन समर में,
असि की चमकी धार।
किया चण्डी बनकर रानी ने,
गोरों का संहार।
जलियांवाला में वीरों ने,
गूँजायी स्वतंत्रता की चीत्कार।
अमर कर गये वो गोलियां खाकर,
वन्दे मातरम की हुँकार।।
कौन अनुभव दर्द करेगा,
माँ भारती के बहते नीर की।
शत कोटि नमन महान मानव,
जय राष्ट्रवीर की।।
हुई आज़ाद हिंद की,
गोरों के संग जंग।
किया चन्द्रशेखर की आज़ादी ने,
गोरों के अंग अपंग।
डाल गया किन्तु दरार कर्जन,
किया था अंग भंग।
लड़ा गये हमको बांटकर,
बदल दिया हमारा रंग ढंग।।
कितनी मनोरम सुगन्धित होगी,
उस बहते स्वतंत्र समीर की।
शत कोटि नमन महान मानव,
जय राष्ट्रवीर की।।
