जय हो भारत
जय हो भारत
जय जय जय जय जय हो भारत
जय इसका इतिहास
इसकी गरिमा जग में व्यापक
यह धरती का हास
इस धरती पर अगणित अद्भुत
महापुरुषों ने जन्म लिया
निर्बल जन के प्राण बचाए
और दुष्टों का शमन किया
यहीं राम अवतरित हुए
और रची कृष्ण ने रास
इसकी गरिमा.....
विद्वद् जन से भरी भूमि यह
नित नव ग्रन्थ रचाती है
कविकुमुद से सुरभित होकर
नव-नव गीत सुनाती है
यहीं हुए थे वामन, दण्डी,
कालिदास और भास
इसकी गरिमा......
यहीं अशोक चक्रवर्ती हुए थे
वीर शिवाजी यहीं हुए
राणा सांगा, प्रताप प्रभृति
महाबलशाली यहीं हुए
युगों-युगों तक रहा यहाँ पर
सुख-समृद्धि का वास
इसकी गरिमा......
इसकी गोद में पलकर निकले
कितने वीर महान
धरती को पावन कर गए जो
गुण-रत्नों की खान
अमर हुए पटेल, सावरकर,
गाँधी, तिलक, सुभाष
इसकी गरिमा......
इस मिट्टी से तिलक करुँ मैं
वारी-वारी जाऊँ
यह धरती अभिमान है मेरा
अपने पर इतराऊँ
यहाँ जन्म जो लिया है मैंने
मन में है उल्लास
इसकी गरिमा........
तन मन धन से मैं आ पाऊँ
इसके कोई काम
तभी धन्य हो जीवन मेरा
शत-शत इसे प्रणाम
यही श्वास में यही प्राण में
हृदय में इसका वास
इसकी गरिमा........