जय हनुमान
जय हनुमान
जय हनुमानजी, आपको सादर है प्रणाम।
आपसे ही सीखा हमने भक्ति और ज्ञान।।
इतनी श्रद्धा की दिल के अन्दर छवि बसा ली राम की।
इतनी निष्ठा की समन्दर पर सेतू बना ली काम की।।
इतनी हिम्मत की सोने की लंका जला दे रावण की।
इतनी ताक़त की संजीवनी से प्राण बचा दी लक्ष्मण की।।
आयुष्मान का वरदान आपने बिलकुल सही पाया।
जब भी मुश्किल में याद किये, आपको अपने समीप पाया।।
कलयुग के रावण को भी यह सन्देश दे हनुमान।
इस जीवन में सदा करे, नारी जाति का सम्मान ।।