जुदाई-ए- इम्तिहांं
जुदाई-ए- इम्तिहांं
मिलकर जो न मिले, उस जुदाई का
नशा कुछ ओर होगा!
जुदा होकर मिले जो नसीब से, उस इंतेहा का
अंजाम कुछ ओर होगा।
इस जुदाई-ए- इम्तिहान को जो कर गया पार,
उस गालिब का अंदाज कुछ ओर होगा।।
मिलकर जो न मिले, उस जुदाई का
नशा कुछ ओर होगा!
जुदा होकर मिले जो नसीब से, उस इंतेहा का
अंजाम कुछ ओर होगा।
इस जुदाई-ए- इम्तिहान को जो कर गया पार,
उस गालिब का अंदाज कुछ ओर होगा।।