बचपन
बचपन

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कहाँ आ गए हम,
क्यों बड़े हो गए हम ?
वो बचपन ही कितना प्यारा था,
जहाँ केवल प्यार और दुलार था।
न कोई पढ़ाई की चिंता,
न किसी से बेवजह की लड़ाई।
अगर लड़ते भी तो ऐसे जुड़ते,
जैसे कभी लड़े ही नहीं।
कहाँ आ गए हम,
क्यों बड़े हो गए हम ?
हँसते-हँसाते सबको अपना बना लेते
इसी मे अपना समय बिता देते।
अगर कोई डाँटता, तो उसको भी हँसा देते
जिंदगी का मतलब सबको सिखा देते।
छोटे होने का खूब फायदा उठाते,
सबसे अपना मनचाहा काम कराते।
कहाँ आ गए हम,
क्यों बड़े हो गए हम ?