चलो, बढ़े चले !
चलो, बढ़े चले !
दुख तो सबके पास है,
चलो उनको अपने जीवन के
लिफाफे से थोड़ी खुशियां लुटाने चले।
दर्द में तो सभी डूबे हैं,
चलो आज उनको खुशियों का
मरहम लगाने चलें।
झूठ में तो सभी डूबे हैं,
चलो आज उनको
सच से रूबरू कराते चले।
अहंकार में तो सभी चूर हैं,
चलो उनको प्यार की
सीख सिखाने चलें।
स्वार्थ से तो सभी मजबूर है,
चलो उनको परोपकार की
शक्ति दिखाने चले।
सपनों में तो सभी खोए हैं,
चलो उनको समय की
अहमियत बताने चलें।
दूसरों की गलतियां तो
सब खोजते हैं,
चलो उनको खुद की
परख करना सिखाते चले।
भविष्य की कल्पना तो
सब करते हैं,
चलो उनको आज का
मजा लेना सिखाते चले।
