जरूरी है नैतिकता और संस्कार
जरूरी है नैतिकता और संस्कार
हमारी भौतिक उपलब्धियों
में से एक उपलब्धि है कार।
नैतिक और आध्यात्मिक में,
हैं हमारे अपने प्यारे संस्कार।
पूरी भौतिक जरूरत है करतीं,
धन-दौलत-बंगला और कार ,
सामाजिकता और आचरण को,
जरूरी है नैतिकता और संस्कार।
भूख भौतिक जगत की रहती बढ़ती,
होती हैं असीमित हमारी आकांक्षाएं।
कोई एक जरूरत है होती ज्यों पूरी ,
चार जरूरत फिर हमको याद आएं।
एक बार ही बस कोई ऐसा होगा नहीं,
यह समस्या तो आएगी ही बार बार ।
हमारी भौतिक उपलब्धियों
में से एक उपलब्धि है कार।
नैतिक और आध्यात्मिक में,
हैं हमारे अपने प्यारे संस्कार।
पूरी भौतिक जरूरत है करतीं,
धन-दौलत-बंगला और कार ,
सामाजिकता और आचरण को,
जरूरी है नैतिकता और संस्कार।
पास हमारे है जो एक व्यावसायिक कार,
साधन है रोजी-रोटी का जो पाले परिवार।
नये सपने हैं सज जाते नयनों में फिर हमारे,
होती है चाहत हमारी एक फार्मूला कार।
कष्ट देते हैं ऐसे ही अनेक अधूरे सपने ,
ऐसे में राहत देते हैं हमारे अपने संस्कार।
हमारी भौतिक उपलब्धियों
में से एक उपलब्धि है कार।
नैतिक और आध्यात्मिक में,
हैं हमारे अपने प्यारे संस्कार।
पूरी भौतिक जरूरत है करतीं,
धन-दौलत-बंगला और कार ,
सामाजिकता और आचरण को,
जरूरी है नैतिकता और संस्कार।
सपने देखना तो बुरा नहीं होता,
और मेहनत से उन्हें पूरा करना।
सपने ही हमें उन्नत पथ हैं सुझाते,
उन्नति हेतु न सन्मार्ग त्याग करना।
सुपथ और कुपथ धर्म-अधर्म का,
बोध कराते हैं सदा हमको संस्कार।
हमारी भौतिक उपलब्धियों
में से एक उपलब्धि है कार।
नैतिक और आध्यात्मिक में,
हैं हमारे अपने प्यारे संस्कार।
पूरी भौतिक जरूरत है करतीं,
धन-दौलत-बंगला और कार ,
सामाजिकता और आचरण को,
जरूरी है नैतिकता और संस्कार।
