ज़रा सा याद कर के देखो
ज़रा सा याद कर के देखो
ज़रा सा याद करके देखो कैसे,
उन टूटे हुआ दिलों को,
जो देने आये थे तुम,
ज़रा याद कर के देखो कैसे,
हम साथ बैठके,
वक्त बिताया करते थे।
ज़रा याद कर के देखो कैसे,
तुम्हारी चोटी-सी मस्कुरहाट में,
मैं दब-सी जाती थी,
ज़रा सा याद कर के देखो कैसे,
एक दूसरों के नादानियों पे,
हँसा करते थे हम।
मेरी चोटी-सी नाराज़गी को,
कैसे मना लेते थे तुम,
ज़रा सा याद करके देखो,
कैसे बेफिक्र होकर सभी,
अपने आप की उलझनों को,
कह डाले थे हम,
और उन उलझनों का हाल,
चुटकियों में निकालते थे तुम।
ऐसा क्या किया था मैंने की,
मुझे बीच रास्ते पे छोड़ गए तुम,
अगर दिल की बात बोलना,
इतना ही गलत था तो,
क्यूँ टूटे हुए दिल के,
टुकड़े लेकर आये तुम।
ज़रा सा मुझे भी याद है,
कैसे टूट गये थे तुम ,
पर खुद को समेटते-समेटते,
हमें ही तोड़ गए तुम।

