ज़रा देख तो लो...
ज़रा देख तो लो...
जो लिख दिया है हमने ज़रा देख तो लो
अपनी मोहब्बत का इश्तहार है छपवाया ज़रा देख तो लो
लोगों का हाल भी अजीब है, दास्ताँ भी अजीब है
क्यों हुए है सब परेशान ज़रा देख तो लो
बुनता था कभी जो ख़्वाब मेरे पहलू में बैठकर
दरवाज़े पर वो दस्तक ना दे ज़रा देख तो लो
मुसाफ़िर थक गया सफर में तो कहां जायेगा
हमें पता है उसका नया आशियाना ज़रा देख तो लो
ये जो बातों में उनकी यादें और यादों में जो दर्द है
तुम भी रह जाओगे हैरान ज़रा देख तो लो
सफ़र ये आसान नहीं, नुकसान होने को है इश्क़ में
भला खोने को क्या नया है ज़रा देख तो लो
बयां लफ्जों में नहीं कर पाऊंगा उस लम्हे को
अब तो बस कट रही है ज़िन्दगी ज़रा देख तो लो
दीदार से आंखें राज़ी हुए है ,बाहें कर शिकायत रही है
हाल बेचैन है मेरा यहां ज़रा देख तो लो
रूह में उतरना खैर मुमकिन नहीं, कोशिश हाँ पर की है
अब कितने हुए है कामयाब ज़रा देख तो लो
करूँ उम्मीद किस पर कि कोई मेरा साथ देगा
न्याय की उम्मीद में सालो बीत गए ज़रा देख तो को