STORYMIRROR

Ashok Goyal

Romance

3  

Ashok Goyal

Romance

जो मेरे गाँव की थी

जो मेरे गाँव की थी

1 min
316

बात उसकी थी और हवाओं में थी

एक लड़की जो मेरे गाँव में थी।


मुझसे कब कोई वास्ता था उसे

धूप भी मुद्दतों से छाँव में थी।


हम दिखाते किसे अगन अपनी

शाम तो मुब्तला घटाओं में थी।


चाह कर भी कभी न तोड़ सके

ऐसी बेड़ी हमारे पाँव में थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance