जो मेरा आज है, वो मेरा कल होगा
जो मेरा आज है, वो मेरा कल होगा
जो मेरा आज है,
वो मेरा कल होगा
जिसे मैंने इतनी मेहनत से,
इतने समय में संजोया,
पल-पल जिसको मैंने अपने,
नन्हें हाथों से सजाया,
वो न जाने कहाँ होगा।
जो मेरा आज है,
वो मेरा कल होगा
मेरी नन्ही आँखों में,
जो प्यारे सपने हैं,
कभी पूरे, कभी अधूरे,
लगते सारे अपने हैं,
वो सपना क्या पूरा होगा।
जो मेरा आज है,
वो मेरा कल होगा
जिन ख़ुशियों को पास में,
मैंने गठरी बना के रखा है
जिसको अपने आँचल में,
मैंने ढ़क कर रखा है,
वो ढ़ेर जाने कहाँ होगा ।
जो मेरा आज है,
वो मेरा कल होगा
जिन दुखों को मैने अपने,
दिल की गहराई में छिपाया,
किसी ने उसको न जाना,
किसी को भी न बताया,
वो मेरा साया कहाँ होगा ।
जो मेरा आज है,
वो मेरा कल होगा
जब ज़िन्दगी की राह में,
थक कर चूर हो जाऊंगी,
जिस सफ़र पर चल पड़ी हूँ
उसको पूरा कर पाऊंगी,
तब ये समां कहाँ होगा।
जो मेरा आज है,
वो मेरा कल होगा
जब इस दुनिया से,
मेरा नाम मिट जाएगा,
किसी धूल की आंधी से,
मेरा निशां हट जाएगा,
तब ये सूरज कहाँ होगा।
जो मेरा आज है,
वो मेरा कल होगा।
