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Shraddha Pandey

Abstract

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Shraddha Pandey

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जन्नत

जन्नत

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गर दुखे तेरे ख्वाबों से उनका दिल

तुम अपना ख्वाब बदल देना

वो तो तिल तिल मरते हैं तेरी जुदाई में,

कुछ नहीं बिगड़ेगा तुम्हारा भी उनको याद करने में !


उनकी ऊँगली पकड़ के चलना सीखा,

ये तुम मत भुला देना

जब वो बूढ़े हो जाए तुम भी उनको पनाह देना

उस बाप का तिरस्कार न करना

जिसने पाई पाई जोड़ के तुझे बड़ा किया।


उस माँ को मत दुतकार देना,

जिसने तेरे पैरों पे तुझे खड़ा किया।

खुशनसीब हे तू जो तेरे पास तेरे माँ बाप हैं

सड़क पे पड़े बच्चों से पूछो क्या कोई उनके साथ है !


कुछ दर्द उसने उठाये तेरे लिए कुछ तुम भी उठा लेना

जब वो तड़पे अकेलेपन में तुम उनको सीने से लगा लेना !

भगवान् से भी ऊंचा दर्जा इनका होता है,

ठुकराये जो ममता इनकी निर्भागी होता है !


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