जन्मों की संगिनी
जन्मों की संगिनी
एहसास होता है
जब से होश संभाला है
तब से हमारे साथ
चलती हो
हमारी भंगिमाओं
हमारी आकृतिओं का
अनुकरण कोई तुम से सीखे !!
हम बैठ जाते हैं
तुम भी बैठ जाती हो
हम दौड़ते हैं
तो तुम भी दौड़ जाती हो !!
ना भूख का एहसास
तुम को कभी होता नहीं
चाहतें तुम्हारी नज़दीक
आती नहीं !!
मौन रहकर हर क्षण
हमारे साथ रहती हो
कभी थकती नहीं
बस अंधेरों में
विश्राम करती हो !!
प्रकाश की किरणों में
तुम्हारा रूप निखरता है
फिर दिन भर
तुम्हारा साथ रहता है !!
सब भले छोड़कर
चले जायेंगे
पर तुम्हारा साथ
अंतिम साँस तक रह जायेंगे !!
तुम हमारे साथ रहने की
कसम खायी हो
हम क्यों कहें कि
तुम मेरी परछाईं हो !!