जन्माष्टमी बधाई गीत
जन्माष्टमी बधाई गीत
मथुरा में छाई खुशहाली
आई फिर से जन्माष्टमी की बारी
महोत्सव मनाए देके बधाई
भू पर कृष्ण जन्मे हरि अवतारी..
बंदीगृह मे देवकी-गर्भ से जनमे
सुप्त सभी जन भीषण वर्षा में
हरि की माया से टूटी सब बेड़ी
अंधियारे वसुदेव लाये गोकुल में
चले शेषनाग की छांव मे कान्हा
घिर घिर घिरी रही घोर अँधियारी..
श्रीनंद के सदन भए नंदलाला
गोकुल में नाचें गायें बृजबाला
मय्या यशोदा बलि बलि जायें
प्रभु मुस्कां लगे उर को आला
किलकत कान्हा बजे पैजनी
केश घुंघराले श्री पीताम्बरधारी..
कमर करधनी मोर मुकुट सजीले
करे मोहित मोहनी तेवर नखरीले
मन न्यौछावर कृष्ण सूरतिया पर
नयना लगते नटखट छैल छबीले
अद्भुत मोहक काया-माया के
वो जय जय जय गिरिधर गिरधारी..
बाजे ढोल नगाड़े ढम ढम ढोले
सब गोपियाँ गीत बधईयाँ बोले
पुनः पुनः गोपियाँ बलाएं उतारें
समर्पित नैनों से भावों को खोले
देख करके हाव भाव कृष्णा के
प्रेम में मुग्ध ग्वाले गोपी महतारी..