जन्म से मृत्यु का सफर....
जन्म से मृत्यु का सफर....
जन्म से मृत्यु तक का सफर
कितना उतार चढ़ाव भरा होता है
एक गठरी बन जाती है सबकी
जिसमें कितने रिश्तों का ढेर होता है।
माँ के गर्भ से बाहर आते ही हम
रिश्तों की डोर मे बंध जाते हैं
समय के चक्र के साथ साथ
और भी नए रिश्ते बन जाते हैं।
माँ बेटे के रिश्ते संग शुरु हुए सफर मे
एक दिन हम भी पिता बन जाते हैं
जिंदगी का कारवां यूँ ही चलता जाता है
अंजान थे जो उनसे नाता बन जाता है।
रिश्तों की माला मे जो फूल सजाए हैं
उन्हें संभालते हुए वक्त गुजर जाता है
रिश्तों से भरा होता है झोला हमारा
सुख दुख मे रिश्तों का मोल समझ आता है।
खाली हाथ आया था खाली हाथ जाएगा
तेरी मौत पर तेरी पोटली को खोला जाएगा
तेरे कमाए रिश्तों का हिसाब यहीं रह जाएगा।
