जंक फूड
जंक फूड
हम भारतीय आज क्यों पश्चिमी सोच को
अपना रहे हैं ....
संतुलित आहार को छोड़ जंक खाना
खा रहे हैं।
अपने गाँव खेत खलिहान के मोटे
अनाज से पीछा छुड़ा रहे हैं।
बरगर, पिज्जा, ब्रेड, कोल्डड्रिंक से
स्वाद का आनन्द पा रहे हैं।
माना कि ग्लोबलाइजेशन के इस दौर
में हम विश्व के देशों को निकट पा रहे हैं !
पर मार्केटिंग और विज्ञापन के मायाजाल में,
हम सब भी फंसते जा रहे हैं।
फ़ास्ट फूड के इस ज़माने में धैर्य और,
संयम के भाव को भुला रहे हैं !
इंस्टेंट कॉफी, दो मिनट की मैगी से हम,
पश्चिमी लाईफ स्टाइल को घर के भीतर ला रहे है।
माना कि विश्व के परिदृश्य में एक दूजे देश से,
प्रभावित हम हो रहे हैं।
पर कहीं न कहीं हम अपनी भारतीय संतुलित,
आहार की पद्धति को खो रहे हैं।
अति का जंक फूड नहीं होता है कभी भी ठीक,
अगर जो खाए तो फिर होती उसे बहुत तकलीफ़।
सिरदर्द उल्टी, जी घबराना, यही नहीं कई रोग बढ़ाए।
कभी कभी तो जंक फूड अस्पताल भी पहुंचाए।
इस जंक फूड से न जाने क्यों लोगों का दिल ललचाए।
काश कि लोग जंक फूड की जगह संतुलित आहार ही खाते।
तो शायद इतने रोगों को अपने शरीर को नहीं लगाते।