जंग जीतने के लिए
जंग जीतने के लिए
जिंदगी से गिला शिकवा नहीं था कभी हमें
अभी मैं अकस्मात् मृत्यु की आत्मा था
जिसका कुछ ठिकाना नहीं, कुछ लक्ष्य नहीं था
विचलित आत्मा सा विचलित मन था
चंचल मन था, मुझे जिससे लड़ना था।
यह जंग मेरी थी, मुझे जिससे लड़ना था
और मैं अस्त्र विहीन था
पर फिर भी मुझे ही जीतना था
ऐसी जीत जिसमे हार हो ही ना, हाँ, हार हो,
पर जीत का और जीत का सेहरा हो
यह लड़ाई इतनी आसान नहीं थी,
यह घर की लड़ाई थी, लड़ाई थी मेरी मुझसे ही
मैं जानता था कठिन है पर मुझे लड़ना था
अपने को एकाग्र करना था कुछ भी तो करना था
आखिर मुझे किसी तरह यह जंग जीतनी थी
वास्तव में ये जंग नहीं, जंग थी मेरे शरीर की
जिसे मुझे निकालना था
निकालना कठिन था क्योंकि निकालने के लिए,
आम्ल रास के अलावा कोई हथियार, उपाय न था
मुझे इस कठिन प्रक्रिया से गुजरना था
और जंग धोना था मुझे जंग धोना था
मुझे जंग जीतना था।।