संजाल स्थल
संजाल स्थल
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किताबों के ढेर
बस ढेर ही हैं।
ज्ञान के चक्षु ,
खुलते नज़र नहीं आते।
संजाल स्थल ही ज्ञान का भंडार ,
अटूट भण्डार।
जहाँ जन्मते हैं भेड़,
और उनकी चाल।
