STORYMIRROR

Devaram Bishnoi

Abstract

2  

Devaram Bishnoi

Abstract

"जग हंसाई"

"जग हंसाई"

1 min
296

पेड़ कि टहनी पर बैठ टहनी काटे।

निचे गिरेंगे हाथ पांव तूड़वा लेते हैं।

यह ख़ुद कि जग हंसाई करवाते।

ऐसे मुुुुर्ख मनुष्य को कैसे समझाएं।

यह खुद कि परवाह नहीं करता हैं।

दुसरे कि क्या ख़़ाक बात सुनेंगे।

ऐसे मुुुुर्ख मनुष्य महापुरुषों के शब्दों सम्पर्क से सुधरे।

जीवन शैली में बदलाव कर सदमार्ग पर चलते देखें।

धन्य हैं हमारे माता-पिता गुरुजन हमें सदमार्ग पर चलना सिखा दिया ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract