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sai mahapatra

Romance

3  

sai mahapatra

Romance

जमानत

जमानत

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में कैसे तुम्हें उसकी शिक़ायत करूं

वो तो मेरी अमानत नहीं


में कैसे तुम्हें उसका नाम बताऊं मुझे तो उसकी इजाज़त नहीं


में तो बस पागल और गिरफ्तार था उसकी मोहब्बत में

मुझे तो उसने नफरत दे दिया मेरी जमानत में


उस दिन के बाद तुम तो चली गई अपने राह में 

और

में तो चला गया अपने राह में

पर मुझे आज भी है विश्वास

हम तो एक दिन जरूर मिलेगे एक दूसरे की बाहों में


अब तो रोज मेरे केलेंडर के दिन बदल ते रहते है

हम तो तुम्हारे इंतज़ार में रोज गिरकर सभलते रहते है


अब तो तुम चुपके से मेरे पास ऐसे आओ जैसे कोई देखें नहीं

अब तो तुम मुझे अपने दिल की बात ऐसे बताओ जैसे कोई सुने नहीं


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