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sargam Bhatt

Action Crime

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sargam Bhatt

Action Crime

जलन

जलन

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मैं जमीं पर क्या उतरी,

पैरो तले कांटे बिछा रहे हैं।

जिन्हें खुद तमीज नहीं है,

वो तमीज हमें सिखा रहे हैं।

शायद उन्हें पता नहीं, मैं खुद फौलाद हूं।

अनजाने में बंदूक हमें वो दिखा रहे हैं।


समझ कर अकेले, हमें वो डरा रहे हैं।

अपनी हद में रहना, हमें वो सिखा रहे हैं।

शायद उन्हें पता नहीं, मैं उड़ती हवा का झोंका हूं।

मेरे खुले विचारों पर, रोक वो लगा रहे हैं।


हसीन चेहरे को, दागदार वो बता रहे हैं।

अपने गुनाहों को, नकाब से ढक रहे हैं।

शायद उन्हें पता नहीं, मैं खुद सीबीआई हूं।

नकली ऑफिसर बन, जांच हम पर वो लगा रहे हैं।



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