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Rajendra Kumar Pathik

Inspirational

3.0  

Rajendra Kumar Pathik

Inspirational

जल-संरक्षण

जल-संरक्षण

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जब जल नहीं तो कल नहीं।

इस जल बिना इक पल नहीं।।


जल-उद्गम जल जाने पर।

दूभर जीवन धरती पर।।

पूर्ण भविष्य दिखाता यह।

सुखमय जीवन करता यह।

जलहीन जीव सफल नहीं।

जब जल नहीं तो कल नहीं।।


जल का था जो प्रकृति स्रोत।

जन-मानस था ओतप्रोत।।

दिन-दिन बढ़ती आबादी। 

होगी जल की बर्बादी ।।

जल-संरक्षण का प्रण नहीं।।

जब जल नहीं तो कल नहीं।।


ताल झील नदी के नीर।

गया सूख ना सुने पीर।।

दोहन की फिर भू उर को।

क्षमा धरा करती उनको।।

नीर बगैर सम्बल नहीं।।

जब जल नहीं तो कल नहीं।।


जल को दूषित करते जन।

अंधाधुंध विटप कर्तन।।

वन-जल का गहरा नाता।

पीढ़ी नयी की विधाता।।

जल की समस्या हल नहीं।।


जब जल नहीं तो कल नहीं।

इस जल बिना इक पल नहीं।।


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