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H K Mahto

Tragedy Inspirational

2.0  

H K Mahto

Tragedy Inspirational

जल ही जीवन हमारा

जल ही जीवन हमारा

1 min
519


कभी पहाड़ों पर्वतों

चट्टानों से टकरा कर

अठखेलियाँ लिया करती थी

साल सागवान शीशम के

सघन वनों में

चट्टानों को चुभा करती थी

कहती हैं ये सूखती दरिया

जल ही जीवन हमारा


बहती थी मेरी रगों में

पवित्र निर्मल धारा

अब थक चुकी हूँ

विकसित जीव के

कचरे ढोते-ढोते

अपनी दुखभरी कथा

सुनाते - सुनाते

कहती हैं ये सूखती दरिया

जल ही जीवन हमारा


बहाती हूं समत्व ममत्व की धारा

मेरे आश्रित ही मुझसे खेलने लगे हैं

विश्व पटल में मुझसे छेड़ने लगे हैं

चाहे खेलते हों, छेड़ते हों, या पूजते हों

सभी से प्यार है, लगाव है मेरा

अर्पित है यह जीवन धारा

कहती हैं ये सूखती दरिया

जल ही जीवन हमारा


कैसी भी चुनौती सामने आ जाय

निर्बाध गति से राह बनाती

आगे बढ़ती जाती हूँ मैं

रुकना सुस्ताना चाह नहीं मेरा

कहती हैं ये सूखती दरिया

जल ही जीवन हमारा

धरती के तृण-तृण का

जीव-जीव का प्यास बुझाती

नहीं किसी तृण से नहीं

किसी जीव से

ऊँच-नीच का भेदभाव मेरा

कहती हैं ये सूखती दरिया

जल ही जीवन हमारा


हरित शोभित लहराती धरती

पुष्पित सुगंधित मनमोहित

पुष्प लताएं, असंख्य जलचर

कहती हैं ये सूखती दरिया

जल ही जीवन हमारा

कहीं उछलती-कूदती

गर्जन करती

कहीं मंथन मादक

चाल से मनमोहक बन जाती

कहती हैं ये सूखती दरिया

जल ही जीवन हमारा


रूप संवारती, रूप निखारती

रंग बदलती

घुंघराले केशों सा

बढ़ती है यह नदिया

कहती हैं ये सूखती दरिया

जल ही जीवन हमारा



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