जल ही जीवन हमारा
जल ही जीवन हमारा
कभी पहाड़ों पर्वतों
चट्टानों से टकरा कर
अठखेलियाँ लिया करती थी
साल सागवान शीशम के
सघन वनों में
चट्टानों को चुभा करती थी
कहती हैं ये सूखती दरिया
जल ही जीवन हमारा
बहती थी मेरी रगों में
पवित्र निर्मल धारा
अब थक चुकी हूँ
विकसित जीव के
कचरे ढोते-ढोते
अपनी दुखभरी कथा
सुनाते - सुनाते
कहती हैं ये सूखती दरिया
जल ही जीवन हमारा
बहाती हूं समत्व ममत्व की धारा
मेरे आश्रित ही मुझसे खेलने लगे हैं
विश्व पटल में मुझसे छेड़ने लगे हैं
चाहे खेलते हों, छेड़ते हों, या पूजते हों
सभी से प्यार है, लगाव है मेरा
अर्पित है यह जीवन धारा
कहती हैं ये सूखती दरिया
जल ही जीवन हमारा
कैसी भी चुनौती सामने आ जाय
निर्बाध गति से राह बनाती
आगे बढ़ती जाती हूँ मैं
रुकना सुस्ताना चाह नहीं मेरा
कहती हैं ये सूखती दरिया
जल ही जीवन हमारा
धरती के तृण-तृण का
जीव-जीव का प्यास बुझाती
नहीं किसी तृण से नहीं
किसी जीव से
ऊँच-नीच का भेदभाव मेरा
कहती हैं ये सूखती दरिया
जल ही जीवन हमारा
हरित शोभित लहराती धरती
पुष्पित सुगंधित मनमोहित
पुष्प लताएं, असंख्य जलचर
कहती हैं ये सूखती दरिया
जल ही जीवन हमारा
कहीं उछलती-कूदती
गर्जन करती
कहीं मंथन मादक
चाल से मनमोहक बन जाती
कहती हैं ये सूखती दरिया
जल ही जीवन हमारा
रूप संवारती, रूप निखारती
रंग बदलती
घुंघराले केशों सा
बढ़ती है यह नदिया
कहती हैं ये सूखती दरिया
जल ही जीवन हमारा