कैसी होंगी राहें
कैसी होंगी राहें
पता चलता नहीं, क्या होगा
लक्ष्य जीवन का कैसी होंगी राहें
रोती नदिया सा या मुस्काते सूरज
कहाँ शुरू होगी कहाँ पर अंत
पता चलता नहीं क्या होगा
लक्ष्य जीवन का कैसी होगी राहें
भीड़ भरी या सुनसान
मिलेंगे जंगल कस्बा या शहर
दिल में उफान लेंगे समुद्र की लहरें
या घटाओं में मन मोर नाचेंगे!
पता चलता नहीं, क्या होगा
लक्ष्य जीवन का, कैसी होंगी राहें
क्या होगा जीवन का आधार
रसधार या निराधार
कल्पनाएं कैसी होंगी
कहर बरपाने वाले या
मधुमुस्कान बरसाने वाले
पता चलता नही, क्या होगा
लक्ष्य जीवन का, कैसी होंगी राहें
मिलेंगे काँटे पत्थर और
आसमान से धधकते शोले
या हम सुनते रह जाएंगे
कुक कोयल की न्यारी प्यारी
पता चलता नहीं, क्या होगा
लक्ष्य जीवन का,
कैसा होगा ये अनजान सफर
कैसी होंगी राहें...