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H K Mahto

Others

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H K Mahto

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पुरानी यादें

पुरानी यादें

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ओह आज याद हो आये

कुछ पुरानी यादें पुराने सपने

न कोई पता, न नाम

अनजाने की एक मुलाकात

न रिश्ते, न नाते

बन गए थे अनकहे रिश्ते!


न कोई मतलब,

न प्यार के वास्ते

मन में मृदुल मोह

तन में ताज़गी छोड़ चले गए

मान कर पखेरु तुझे

मन को तरसने न दिया

हाथ तरसते रह गए मेरे

पंख का एक स्पर्श पाने को

नयन तरसते रह जाते

तेरे दर्शन को


मगर वे अनकहे, अनजाने,

औचक रिश्ते

बेपहचान बन कर रह गए!

चौक- चौराहा, धरती - गगन

जंगल- शहर कहीं मिले भी

तो पहचान न पाए

मगर चाह कर भी दिल से

मिटा न पाए!

तेरे फुदकते पंख

मृदुल आँखें

थिरकते पाँव

मस्ती भरी आवाजें

फिर से याद हो आये!


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