"जल है तो कल है"
"जल है तो कल है"
जल से जीवन जुड़ा, जल से ही बुझे प्यास
प्यासे को पानी मिले, जन हित मे हो प्रयास
जल का हो संचय कहीं, व्यर्थ न हो बहाव
शेष है जो प्रकृति पर, जुड़ी लोगो की आस
बूंदो के स्पर्श में वो शीतलता का एहसास
जल पर निर्भर हैं सभी, और है पूरा ब्रम्हांड
जीव जन्तु हैं निर्भर जल में व प्रकृति है सारी
मछलियां भी हैं नीर में ,जल की हैं ये रानी
पेड़ पौधों के संरक्षण से सम्भव जल प्रवाह
अमूल्य है जल-सम्पदा, है जीवन का आधार
खारा और मीठा है , भिन्न भिन्न जल का स्वाद
प्रकृति द्वारा मिला हमें बहुमूल्य है उपहार
उचित हो उपयोग जल का हो सदुपयोग
जल है जीवन सबका, व्यर्थ न हो दुरुपयोग।