जज़बात मसखरी नहीं होते दीवानों
जज़बात मसखरी नहीं होते दीवानों
जज्बात मसखरी नहीं होते दीवानों के,
माँ भारती कभी बंटती नहीं दीवारों में।
हमारी कोशिश रहेगी सदा अनेकों में एक होने की,
माँ भारती के लाल संकल्पता करते एक होने की।
हम आगे बढ़ेगें फिर दुश्मन पीछे हटेगा,
माँ भारती के लालों का जब डंका बजेगा।
आओ हम सब एक आर्थिक पर मजबूत हों,
मां भारती के लाल जातिगत भेद भाव से दूर हों।
आजाज़ हम सब बुराईयों पर विश्व विजय पायें,
माँ भारती के लाल हम सब विजया हिन्द कहलायें।
यही सपना ह्रदय में अमर है इतिहास बनकर,
माँ भारती के लाल हैं हम खिताब बनकर।
जय हिन्द जय विजया हिन्द यही हमारा नारा है,
मां भारती के लाल ने अपने भाईयों को पुकारा है।
देखो पहले मंथन करो फिर जतन वतन होना चाहिये,
माँ भारती का धर्म सर्व समभाव सनातन होना चाहिये।।
