जिया माता।
जिया माता।
हे मात ! तुम्हारे चरणों में बड़ी देर से खड़ा भिखारी है।
हृदय में कलुषित मैल भरे यह कपूत बड़ा ही व्यभिचारी है।।
मन भरा बुरे विचारों से,
कैसे पुकारूँ इन भावों से,
ममता मई कृपा तेरी पाने को,
हो सकूं कृतार्थ तेरे दर्शन से।
करुणा की आस लगाए खड़ा अश्रु लिए एक दुखियारी है।
हे मात ! तुम्हारे चरणों में बड़ी देर से खड़ा भिखारी है।।
भव- रोग ग्रसित यह काया हुई,
पर प्राण अभी भी बाकी है,
उम्मीद की किरण लिए बैठा हूं,
दया मेरी "मात" की इस जहां की है।
दीन-हीन सुदामा सम तब मैंने तुझे पुकारी है।
हे मात ! तुम्हारे चरणों में बड़ी देर से खड़ा भिखारी है।।
बलिहीन गजराज सम दशा हुई,
भव-सागर में अब डूबती नैया है,
पार लगा दो सुन करुण पुकार,
ममता वात्सल्य रूप मेरी मैया है।
दुर्गे रूप हे ! "जिया माता" अब आज "नीरज" की बारी है।
हे मात ! तुम्हारे चरणों में बड़ी देर से खड़ा भिखारी है।।