'जिन्दगी'
'जिन्दगी'
कभी खुशी, कभी ग़म।
कभी रोना, धोना,
कभी खुशियां चरम।
ज़िन्दगी भी, अजब खेल है।
बाजार जैसी हर पल,
रेलम पेल है।
कभी खुशी, कभी ग़म।
कभी रोना, धोना,
कभी खुशियां चरम।
ज़िन्दगी भी, अजब खेल है।
बाजार जैसी हर पल,
रेलम पेल है।