जिंदगी
जिंदगी
क्या लेकर आये हो इस जग में
क्या लेकर जाओगे इस जग से
मत कर तू अभिमान ऐ बंदे
यहां तो बस कुछ दिन का बसेरा है
यहां ना कोई अपना है
यहां ना कोई पराया है
यहां तो सब मोहमाया है ।
यहां हर रोज़ कितने आते हैं
यहां हर रोज़ कितने जाते हैं
क्या दुनिया सबको याद कर पाता है
दुनिया तो बस अच्छे को याद रख पाता है
कुछ ऐसा कर जाओ
जो दुनिया याद रख पाये
चार दिन की जिंदगी में
तुम्हें बहुत कुछ कर जाना है ।
मिट्टी की है ये तेरी काया
मिट्टी में ही मिल जायेगा
उसके बाद क्या ये दुनिया
कभी तुम्हें याद रख पायेगा
कुछ भी कर लो इस काया पर
यह शरीर तो नश्वर है ।
यहां आये कितने परींदे
कितने गये परींदे
क्या दुनिया उनको याद रख पाया
कुछ ऐसा कर जाओ ऐ बंदे
जो दुनिया में तेरा नाम हो
जिंदगी के साथ भी
जिंदगी के बाद भी
बस दुनिया में तेरा ही नाम हो ।
