जिंदगी सपनों का बाजार
जिंदगी सपनों का बाजार
गुब्बारे ले लो, गुब्बारे!लाल,नीले, हरे,पीले,सब रंग प्यारे-प्यारे।
दिनभर दौड़ती-फिरती डोर को खींचे-खींचे,
लाल सिग्नल देख,सरपट गाड़ियों के पीछे- पीछे।
बाबूजी ले लो ना,आपके बच्चे बहुत खुश होंगे,
ये देखो बंदर के रूप वाला,नहीं तो ये ले लो,गैस भरा,हवा में उड़ने वाला।
मुनिया तू तो खुद बच्ची है,
अभी तो पढ़ने लिखने की तेरी उम्र भी कच्ची है।
क्यों तू पसीने में लथपथ,भूख से बेहाल,गर्मी-सर्दी की सहती मार?
बाबूजी जिंदगी सपनों का बाजार है,आप सब खरीदार हैं,
बेचूँगी गुब्बारे,तभी तो खरीद पाऊँगी ना सपने,मैं भी प्यारे प्यारे।