जिंदगी ने सिखाया बहुत है
जिंदगी ने सिखाया बहुत है
कभी जिंदगी सिखाती बहुत है
तो कभी जिंदगी दिखाती बहुत है
सिखाने में वक्त निकल जाता है
पर वक्त के साथ ये सताती बहुत है
कभी डटकर सामना करता हूं
कभी गिरते गिरते उठ जाता हूं
थकता हूं तो कभी हार मान कर
कुछ पल के लिए रुक जाता हूं
कभी सोचता हूं कि आखिर
इस जिंदगी को मुझसे क्या चाहिए
या तो मेहनत रंग नहीं ला रही या
फिर इसे मुझसे कुछ नया चाहिए
हिचकिचाता हूं जिंदगी में जल्दी
कुछ नया कदम उठाता नहीं हूं
जिंदगी बाहें फैलाकर बुलाती हैं
लेकिन डर के मारे जाता नहीं हूं
हंसाया है कभी गले से लगा कर
तो कभी जिंदगी ने रुलाया बहुत है
पर सच ये भी है कि जिंदगी ने मुझे
आज तक सिखाया बहुत है