STORYMIRROR

Manoj Murmu

Abstract

4  

Manoj Murmu

Abstract

जिंदगी में जिसे अपना मना

जिंदगी में जिसे अपना मना

1 min
199

एक पल जीना दुस्वार था

जिसके बेगैर वो मुझे तनहा छोड़ गयी।।

जिसे हद से ज्यादा चाहा था वो

मुझे पराया कह बीच राह में छोड़ गयी...

 

दिल रोता है जब याद आती है वो

जबसे मेरे दिल को उजाड़ कर चली गयी....

जान थी वो पर कहाँ खाली जिस्म को

बेजान लाश की तरह मरने को छोड़ गयी....

 

जिससे पहली नजर में प्यार हुआ,

एक पल दूर गया तो मुझे छोड़ चली गयी....

दिल रोता है जब याद आती है वो

जान थी वो मेरी ज़िंदा लाश बना गयी....

 

सिख मिली जब छोड़ गयी तो

मत करना प्यार कभी किसी से, 

दिल रोये पर आँसू न गिरे आँख से,

जब छोड़ जाये तो रह ना पाओगे चैन से।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract