जिंदगी क्या है?
जिंदगी क्या है?
सुई के धागे जैसी एक डोर है जिंदगी।
रिश्ते बनते हैं,
धागे जुड़ते हैं,
मजबूत हो जाती है जिंदगी।
कमज़ोर हो तो,
बिखर जाती है यह जिंदगी।
धागे की तरह
अलग-अलग मुश्किलों जैसी सुईयों से,
गुजरती है यह जिंदगी।
धागा ऊपर,
धागा नीचे,
गोते लगाती है यह जिंदगी।