जिंदगी किताब है
जिंदगी किताब है
जिंदगी किताब ही तो है
जिसका एक अध्याय हर रोज शुरू होता है
किसी पन्ने से खुशियां झलकती है
कोई पन्ना खूब रोता है
चहाते ना चाहते हुए हम रोज पढ़ते हैं
अच्छा लगे तो खुश होकर गले लगा लेते हैं
नहीं तो शिकवे गढ़ते हैं
कभी अपनों का आना कभी हम से जुदा हो जाना
इस किताब के पन्ने पलटते हैं रोजाना
खुशियों की बदौलत ही एक दौलत है इनमें
किताब से बातें करना अपनों की बदौलत है इनमें
कभी पलटकर पन्ने आहें भरते हैं
कभी हालात ऐसे होते हैं इग्नोर करते हैं
लेकिन मेरी जिंदगी किताब है
मिठी से ज्यादा इसमें कड़वे एहसास हैं
लेकिन फिर भी मैं इसे रोज पढ़ती हूं
यह मेरी जिंदगी का हिस्सा खास है।
