जिंदगी की तलाश में
जिंदगी की तलाश में
जिंदगी की तलाश में
हरकोई निकलता है प्रतिदिन
आंखों में खुशहाल जिंदगी के सपने
हरकोई सजाता है प्रतिदिन
फिर उसी सपने के पिछे
हरकोई भागता है प्रतिदिन
और जिसकी तलाश में भागता है
उन्हीं छोटी-छोटी खुशियों को अनदेखा कर
हरकोई उदासीन रहता है प्रतिदिन।
