"जिंदगी की सीख"
"जिंदगी की सीख"


करूं शुक्रिया अदा यह कहकर ऐ मेरी जिंदगी
गमों की बारिश में भी सदा छाता बन हौसला किया बुलंद सदा ही करूं मैं तेरी बंदगी
विपरीत परिस्थितियों में न लड़खड़ाए कभी मेरे कदम
करती हूं कोशिश छोटे-छोटे पलों से खुशियां बटोरती रहूं हरदम
जीवन की परिवर्तित घड़ियों में मीठी यादों को मन में संजोए
बगिया में खिले हुए फूलों को भी देकर यह सीख माहोल खुशनुमा बनाएं
माता-पिता और गुरुजनों की सीख को बनाया यादगार
इसी सीख के सहारे भविष्य संवारते हुए होगा जीवन सदाबहार!