जिन्दगी खेल नही
जिन्दगी खेल नही
मेरे पास आ-आकर
मुझे ये चेहरा दिखा-दिखाकर ,
जुल्फो के गहरे रंग में
मुझे तुम डूबा-डूबा कर ,
ज़िंदगी को खेल समझती हो
ये प्यार है या प्यार को खेल समझती हो ,
एक तरफा प्यार का कोई मेल नही है
ये ज़िंदगी है ज़िंदगी कोई खेल नही है ।
खुबसूरत आँखो मे पानी बहाकर
मुझे अपनी निगाह मे बिठाकर ,
क्यू कोई ओर तुम्हे दिखाई नही देता
आँखों मे बे-इन्तहा
मोहब्बत का चश्मा लगाकर ,
अल्फ़ाज़ तेरे मुझे पसंद नही
वो कोई और है तुम नही
मेरी ज़िंदगी मे तुम्हारा कोई मेल नही
ये ज़िंदगी है जिन्दगी कोई खेल नही ।
तस्वीरो को यूँ साझा ना किया कर
तू दोस्त है दोस्त की तरह रहा कर ,
माना कि तुझे कोई फर्क नही पड़ता
एक दिन आयेगा तुझे तड़पाएगा ,
तेरी बेचैन ज़िंदगी का रंग
उड़ उड़ कर फीका हो जाएगा
मेरा छोड़ो अपना घर बसाना
फ़िर तेरे दिल को सुकून आयेगा
मेरी चाहत कोई और है
तू जानती है
मेरी ज़िंदगी कोई और है ,
उसके सिवा मेरा कोई नही
मेरे सिवा उसका कोई नही
समझ जा ए दोस्त मेरे
वो मेरी ज़िंदगी है और
ज़िंदगी कोई खेल नही ।