जिंदगी के हर मोड़ पर
जिंदगी के हर मोड़ पर
जिंदगी के हर मोड़ पर, मिलता रहूंगा।
बस, इसी रफ्तार से, साथ चलता रहूंगा।
जब में अकेला, बाग में जाके बैठता हूं।
पूछती है तितलियां, मैं तुझे खोजता रहूंगा।
याद है वो दिन मुझे, बारिश के बौछार के।
तेरे साथ में बारिश में, मैं भी भीगता रहूंगा।
कभी तू पूछती, संध्या इतनी रंगीन क्यू है?
उसी के उत्तर में, मैं तुझे रंगपटल में ढूंढता रहूंगा।
तू दौड़ के आती, बांहों में समा जाती।
तुझे प्यार से बांहों में, समा के बैठा रहूंगा।
गुजर गए वो दिन, ये चेहरे भी बदल गए।
वो पहेली झलक, दिल में बसाए बैठा रहूंगा।
सभी है दिन सुहाने, आज भी है तू पास मेरी।
आरजू दिल में बसाकर तेरी, साथ चलता रहूंगा।