काले बादल बरस गए
काले बादल बरस गए
मेघाण्ड्म्बर काला छाया और काले बादल बरस गए
पानी, पानी होकर आँगन में भी पानी कूछ पूछ गए
बादल बिजली की चमक से चारो दिशा जगमगा उठी
बिजली की चमकसे एक स्पंदित चादर बिछा गयी
रुखी सुखी थी जहां पहाड़ी सूरज के ताप से तपती
मैदान, खेत, पहाडी हरी घास से हराभरी हो गयी
पशु, पक्षी, जानवर, खुशियों से झूमकर नाच उठे
मानो आकाश ही उसका स्वर्गीय सुख बिछा गया
नदियाँ और नहरें उफान पर आकर फेल गईं
मानो समंदर के पानी ने अपने घर ही बदल दिया
बादल बरस जाते हैं देते है सालभर की खुशियों
अगर बरसा बने तूफ़ानी मानो सागर फ़ैल गया।