उम्र बीत रही है पानी की तरहा।
उम्र बीत रही है पानी की तरहा।


उम्र बीत रही है पानी की तरहा।
उसे बहने का वक्त का तकाजा है।
जाना है जहाँ जाइए आराम से।
बस आनंद की हलचल मचाना है।
जिन्दगी का हर लम्हा है मज़ेदार।
हर जगहा तहलका मचाना है।
गया बचपन, जवानी, आया बुढ़ापा।
फिर भी बचपन की तरहा रुठ जाना है।
उम्र के हर दौर में उठाइये मज़ा।
बस जिन्दगी का यही तो इरादा है।