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Premyad kumar Naveen

Abstract

4.5  

Premyad kumar Naveen

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जिंदगी के फ़साने

जिंदगी के फ़साने

1 min
425


 (1)

ज़िन्दगी के फ़साने

हाँ दूर तुझे सारे के सारे हैं बताने

रहने लगी हो जैसे हम हैं

कोई अंजाने..


(2)

ऐसा भी नही था कि तुम

इस दिल की बात न जाने

हसीं सफ़र और खूबसूरत पल

के थें अफ़साने..


(3)

रातों को ख़्वाब बन आती हो 

वो ख़्वाब लगे लुभावने

मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो

शायद तेरी नज़रो में है बेगाने..


(4)

जिंदगी के फ़साने 

न समझे न ही जाने

सितमगर बरसा कर 

इस दिल को लगे तड़पाने..


 (5)

न रुकी वो इश्क़ की हवा 

रुख से होकर गुजरती गई

जुदाई का दर्द दिल को होता गया

लगे है पागल दिल को समझाने..


 (6)

छोटी बातों को दिल से लगाकर 

लगी थी वो बड़ा बनाने

हमे तो जैसे दिल ही दिया था 

 मानो आजमाने.. 


 (7)

हुई थी जब बात आमने सामने

तो लगे थे बात बनाने

इस मोहब्ब्त को नया आकार देगे 

कहकर लगे है थें तराशने...


 (8)

कहा हुई गलती हमसे 

 लगे तलाशने

वो लगी है गिराने प्यार 

के शामियाने...


 (9)

मोहब्ब्त के रंग में भीग 

गाते प्यार के तराने

हो गई जुदा हमसे 

अब अंधेरे है वीराने...


 (10)

क्यू लगी थी तुम आजमाने

प्यार नहीं था तो कहती 

दूर जाने के लिए तो न 

बनाती बहाने...


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