जिंदगी एक रहस्य
जिंदगी एक रहस्य
जिंदगी तू एक रहस्य है
कभी सतरंगी छटा बिखेरती है
तो कभी अंधियारा ला देती है
कभी हंसाती भी बहुत है
तो कभी रुलाती भी बहुत है
ठीक कोल्हू के बैल के जैसे घुमाती है
न जाने कौन से पाप का प्रायश्चित करवाती है
दावे बहुत हैं और इरादे बहुत हैं
आशा बहुत है और सपने बहुत हैं
पर जिस पर जब गुजरती है
वही असली मतलब जिंदगी का जानता है
कहने को तो रिश्ते भी बहुत हैं और नाते भी बहुत
पर जब वक्त रिश्ते-नाते का आ जाए
तो अकेले ही रह जाती है ज़िंदगी
आज़ जो कमाया और कल जो बनाया
सब एक बार ही झाड़ कर ले जाती है ज़िंदगी
कभी अकेले में समय नहीं कटता
पर एक दिन बिल्कुल चुप कर
अकेला ही कर जाती है ज़िंदगी
आज़ जो दिन और रात का हिसाब लगाते हैं
फिर एक दिन दिन और रात दोनों का हिसाब
बराबर कर जाती है ज़िंदगी
समस्याएं हर वक्त यहां आ खड़ी रहती है
पर कभी समाधान मिलता नहीं
यूं ही इंसान दिमाग़ दौड़ाता है
पर कुछ भी यहां सुलझा नहीं पाता
लोग कहते हैं कर्म करो, फल जरूर मिलेगा
पर इसी फल पाने के इंतज़ार में कट जाती है सारी ज़िंदगी
सब मिल भी जाता किसी को
तो भी अंत में खाली पाता है ज़िंदगी
खोजने की कोशिश तो ताउम्र किया
पर इस उलझन को सुलझा नहीं पाया
सुलझाने को आगे तो बढ़ता गया
पर कभी जिंदगी के रहस्य को सुलझा नहीं पाया।