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Mani Aggarwal

Inspirational

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Mani Aggarwal

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जिज्ञासा

जिज्ञासा

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न घर हुआ करते थे, न मकान हुआ करते थे,

तन पर कपड़े न सुविधा के सामान हुआ करते थे।

घने जंगलों की गुफाओं कंदराओं में ही था बसेरा,

सुना है ऐसे हमारे पूर्वज महान हुआ करते थे।


बलिष्ठ तन जिज्ञासु प्रवृति ने संघर्ष करना सिखाया,

क्रमशःअपने अनुभवों से सीखा औ अमल में लाया।

जिज्ञासु मन में उपजे प्रश्न हजारों,क्यों, कब, कैसे,

जिज्ञासा से ही उन सब का समाधान भी पाया।


जिज्ञासा वश ही सीखा, हथियार बनाना,

जंगली पशुओं से जब खुद को पड़ा बचाना।

जिज्ञासा नें ही बीजों का ज्ञान कराया,

भूख मिटाने की खातिर फिर अन्न उपजाया।

  

जिज्ञासा नें ही तन ढकना उन्हें सिखाया,

पहन वस्त्र कुछ बेहतर उन्होनें खुद को पाया।

जिज्ञासा से ही निर्माण हुआ फिर घर का,

धूप और बारिश से बचने का मार्ग था पाया।


आग की शक्ति और भोजन को पका के खाना,

खोज नए साधन नित फिर उपयोग में लाना।

 हर अभ्यास से विस्तृत हुई सोच की शक्ति

और अपनी क्षमताओं को उन्होंने पहचाना।


 धीरे- धीरे शिक्षा का विस्तार हुआ जब,

रोज अनोखी चीजों का अविष्कार हुआ तब।

खुद जैसा कुछ बनाऊँ ये विचार जो उपजा,

रोबॉट का उस दिन ही आविष्कार हुआ तब।


जिज्ञासा ही जननी अभिशाप औ उपहारी की,

अच्छे हो या बुरे जहां के सभी अविष्कारों की।


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